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Showing posts from November, 2018

नशा ए मुहब्बत

यादे तेरी सताती हैं हर पल और तेरे अत्याचार में हूँ फिर से कब जुल्म होगा मुझ पर बस इस इंतेज़ार हूँ, पिया करता हुँ इस तरह से मुहब्बत की शराब मैं, पहले मुहब्बत का नशा था अब बेवफाई के खुमार में हूँ! तारिक़ अज़ीम 'तनहा'