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Showing posts from March, 2018

सिलसिला देखिये

खुशबुओं से घुली हैं हवा देखिये, कितनी महकी हुई हैं फ़िज़ा देखिये। मर मिटे कितने लोग इश्क़ में, चल रहा ये हैं सिलसिला देखिये! तारिक़ अज़ीम 'तनहा' 212 212 212 212

उर्दू और हिंदी के रिश्ते को बेहतर समझा कुमार ने

मैं स्वीकार करता हूँ… —कि ग़ज़लों को भूमिका की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए; लेकिन,एक कैफ़ियत इनकी भाषा के बारे में ज़रूरी है. कुछ उर्दू—दाँ दोस्तों ने कुछ उर्दू शब्दों के प्रयोग पर एतराज़ किया है .उनका कहना है कि शब्द ‘शहर’ नहीं ‘शह्र’ होता है, ’वज़न’ नहीं ‘वज़्न’ होता है. —कि मैं उर्दू नहीं जानता, लेकिन इन शब्दों का प्रयोग यहाँ अज्ञानतावश नहीं, जानबूझकर किया गया है. यह कोई मुश्किल काम नहीं था कि ’शहर’ की जगह ‘नगर’ लिखकर इस दोष से मुक्ति पा लूँ,किंतु मैंने उर्दू शब्दों को उस रूप में इस्तेमाल किया है,जिस रूप में वे हिन्दी में घुल—मिल गये हैं. उर्दू का ‘शह्र’ हिन्दी में ‘शहर’ लिखा और बोला जाता है ;ठीक उसी तरह जैसे हिन्दी का ‘ब्राह्मण’ उर्दू में ‘बिरहमन’ हो गया है और ‘ॠतु’ ‘रुत’ हो गई है. —कि उर्दू और हिन्दी अपने—अपने सिंहासन से उतरकर जब आम आदमी के बीच आती हैं तो उनमें फ़र्क़ कर पाना बड़ा मुश्किल होता है. मेरी नीयत और कोशिश यही रही है कि इन दोनों भाषाओं को ज़्यादा से ज़्यादा क़रीब ला सकूँ. इसलिए ये ग़ज़लें उस भाषा में लिखी गई हैं जिसे मैं बोलता हूँ. —कि ग़ज़ल की विधा बहुत पुरानी,किंतु विधा

तकती 2 आ के स्वर वाले तुकांत

प्रेमिका भूमिका चित्रयवनिका संतानिका व्यवस्थापिका अध्यापिका दीपिका अणुकणिका उपक्रमणिका अनुक्रमणिका वर्णिका टिका वाटिका गुटिका घुटिका चंद्रिका अमेरिका पच्चीकारिका सारिका पत्रिका नासिका जीविका नायिका बक्का हक्का-बक्का हक्का चक्का उच्चक्का भौंचक्का धक्का थक्का मक्का मुनक्का पक्का रक्का इक्का सिक्का बुक्का हुक्का मुक्का रुक्का हल्का उल्का शंका लघुशंका फेंका झोंका बांका टांका छींका धोका खाका शलाका इलाका धमाका नाका डाका भडाका धडाका धूमधडाका कडाका लडाका तडाका चटाका पताका फीका टीका तरीका अफ्रीका लसीका ण्का महूका लूका सिर्का बुर्का चस्का हिस्का मौका नौका पादुका चुका झुका ताल्लुका तालुका

तकती 1 आ के तुकांत

आ दबा चबा शोरबा मरतबा धब्बा बेधब्बा मुरब्बा डिब्बा पनडुब्बा सुब्बा साहिबा बम्बा खम्बा लम्बा खंबा लंबा तांबा मुंबा तोबा शहाबा कुलाबा डूबा सूबा तजुर्बा कस्बा डुबा अदा गदा अलहदा ओहदा शोहदा लदा बरामदा विपदा आपदा परदा दर-परदा सदा सर्वदा फायदा बेफायदा कायदा बेकायदा बाकायदा गद्दा भद्दा प्रकाशबेदा भेदा धनभेदा सफेदा श्रध्दा मैदा पैदा बिदा मुआहिदा विदा मसविदा बराम्दा ऊम्दा उम्दा गन्दा चन्दा फन्दा सरकफन्दा मन्दा नन्दा रन्दा बाशिन्दा जिन्दा पुलिन्दा शरमिन्दा निन्दा ईश्वरनिन्दा प्रतिनिन्दा कारिन्दा गंदा चंदा फंदा रंदा पेंदा कलिंदा निंदा जुशांदा मांदा बिसांदा बूंदा फफूंदा कुन्दा ओदा बोदा खोदा वोदा लबादा दादा बापदादा वाजिबुलादा मादा इरादा बुरादा सादा वादा ज्यादा प्यादा मर्यादा पेचीदा पोशीदा रंजीदा संजीदा गूदा बेहूदा मसूदा पर्दा गिर्दा गुर्दा मुर्दा हौदा सौदा मसौदा गुदगुदा खुदा शुदा जुदा गा दगा भगा मंहगा रतजगा लगा मुंहलगा डगमगा तमगा सगा सुग्गा दंगा गंगा लहंगा महंगा

तकती 3 अ के तुकांत

मूंछ पूंछ पोछ गाछ छाछ पाछ पूछपाछ राछ ताछ पूछताछ रीछ पूछ कुछ गृह विनोदगृह राजगृह शयनगृह शिल्पगृह दीपगृह ग्राम्यगृह लतागृह तपस्यागृह बन्दीगृह स्त्रीगृह उलझ समझ बेसमझ मेझ बांझ झांझ सांझ बोझ बूझ जानबूझ बुझ ख अलख नख पख चटख रख अदरख परख गोरख मूरख बतख बत्तख देख शेख लेख स्वहस्त-लेख समाधि-लेख स्मृति-लेख उपलेख सृतलेख श्रुतलेख उल्लेख शिलालेख प्रत्यालेख सुलेख मृत्युलेख मेख रेख देखरेख दुह्ख नखशिख लिख कालिख नखसिख शंख पंख महासंख आंख शोख कोख सोख दाख लाख पाख राख भूराख सूराख सुराख साख ताख गुस्ताख भीख चीख लीख तारीख बेतारीख तवारीख सीख भूख रूख सूख मनसूख मन्सूख मूर्ख सूर्ख सुर्ख दुख मुख ण्ग-मुख प्रमुख हंसमुख केंद्राभिमुख विमुख सम्मुख स्पर्शोन्मुख अधोमुख पश्चिमामुख सेनामुख सुख मेंह सिंह बच्चासिंह बांह छांह मुंह मुंहामुंह खोह मोह विमोह व्यामोह द्रोह राजद्रोह प्रतिद्रोह विद्रोह गिरोह समारोह दुरारोह अश्वारोह फ कलफ बरफ तरफ सफ शेरिफ मुनसिफ गोल्फ हांफ सौंफ संजाफ गिलाफ खिला

तकती 3 अ के तुकांत

प्रतिबद्ध सम्बद्ध असम्बद्ध संबद्ध असंबद्ध सीमाबद्ध श्रेणीबद्ध श्रेणीवद्ध गिद्ध समृद्ध वृद्ध वयोवृद्ध सिद्ध स्वयम-सिद्ध असिद्ध लोकसिद्ध बहुश्रमसिद्ध जन्मसिद्ध प्रसिद्ध अप्रसिद्ध कुप्रसिद्ध मलावरोद्ध अविरूद्ध अर्द्ध शुद्ध अशुद्ध विशुद्ध कुद्ध विरुद्ध अविरुद्ध नियमविरुद्ध न्यायविरुद्ध बुद्धिविरुद्ध रीतिविरुद्ध व्यवस्थाविरुद्ध क्रुद्ध युद्ध मल्लयुद्ध धर्मयुद्ध द्वंद्वयुद्ध क्रीडायुद्ध निषेध प्रतिनिषेध मृतदग्ध विदग्ध सन्दिग्ध संदिग्ध असंदिग्ध वैध अवैध विविध अन्ध बन्ध मुखबन्ध प्रबन्ध कुप्रबन्ध निबन्ध उष्णकटिबन्ध प्रतिबन्ध सम्बन्ध असम्बन्ध निह्सम्बन्ध संबन्ध गन्ध दुर्गन्ध सौगन्ध सुगन्ध अंध कमरबंध प्रबंध कुप्रबंध निबंध कटिबंध भूकटिबंध प्रतिबंध सम्बंध संबंध निर्बंध अनुबंध गंध सुगंध सेंध बांध चकाचौंध धुंध अन्धाधुंध धुन्ध अन्धाधुन्ध अंधाधुन्ध बोध ग्रहणबोध इन्द्रियबोध मिथ्याबोध निर्बोध सुबोध प्रतिशोध श्वास-रोध अवरोध श्वासवरोध निरोध गतिरोध प्रतिरोध विरोध अविरोध राजविरोध अन्तर्विरोध क्रोध दुर्व

तकती 2 अ के तुकांत

बेच पेच एचपेच सर्वोच्च उच्च किरमिच गिचपिच स्विच न्च मंच रंगमंच पंच सरपंच बेंच पेंच इंच बैंच चोंच खोंच मोंच खरोंच आंच जांच कांच कुलांच रोमांच पांच खींच नींच पहुंच संकोच अंगसंकोच सोच पिशाच भूतपिशाच नाच खपाच प्रत्ययवाच बीच चक्रबीच नीच ऊंचनीच कूच खर्च फजूलखर्च ख्रर्च किर्च मिर्च मार्च सचमुच बध औषध निद्रौषध वध लब्ध व्युत्पतिलब्ध प्रारब्ध क्षुब्ध अक्षुब्ध बद्ध छन्दबद्ध लेखबद्ध कोष्ठबद्ध तालबद्ध क्रमबद्ध नियमबद्ध स्वरबद्ध

अ तुकांत वाले शब्द

अब सबब दब अदब बेअदब मजहब साहब ढब बेढब जब कब तलब जवाबतलब मतलब बेमतलब क्लब जरब सब तब मकतब गायब अजायब नायब जेब फरेब सेब बिब साहिब मुनासिब नामुनासिब बल्ब अवलम्ब विलम्ब दण्डविलम्ब आलम्ब नितम्ब प्रतिबिम्ब प्रतिबिंम्ब कुटुम्ब अवलंब निरावलंब विलंब बिंब प्रतिबिंब कुटुंब चोब ग्लोब रोब कबाब असबाब दाब पर्दाब इन्तखाब पेशाब जाब तेजाब नकाब सैलाब तालाब गुलाब जुलाब कुलाब जनाब लूआब महराब मेहराब खराब शराब जुर्राब हिसाब बेहिसाब किताब जवाब कवाब नवाब ख्वाब अजीब तितलीब पीब गरीब करीब बेनसीब तरतीब बेतरतीब ऊब दूब खूब डूब कुतुब द बद मदद हद शहद सरहद बेहद दुह्खद दुखद सुखद असुखद परिषद विशद नामजद जबरजद कद नकद फलद मद समद मुहम्मद खुशामद सनद मसनद पद उच्चपद एकार्थपद राजपद समपद उपपद उत्कृष्टपद पूर्वोत्तरपद व्यवहारपद पूर्वपद शून्यपद अष्ठेपद मन्त्रिपद विपद आपद निरापद ध्रूपद विवादास्पद शोकास्पद हास्यास्पद लघुपद अनुपद शरद जरद प्रद आनन्दप्रद फलप्रद दण्डप्रद प्राणप्रद कष्टप्रद भयप्रद स

चाक।

मेरी उल्फते-दास्ताँ कागज़ों-लफ्ज़ से पूछ, चाक हैं कागज़ भी, और लफ्ज़ भी हैं चाक ! तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

हिंदी दिवस

हिन्दी के ऐतिहासिक अवसर को याद करने के लिये हर साल 14 सितंबर को पूरे देश में हिन्दी दिवस मनाया जाता है। इसको हिन्दी दिवस के रुप में मनाना शुरु हुआ था क्योंकि वर्ष 1949 में 14 सितंबर को संवैधानिक सभा के द्वारा आधिकारिक भाषा के रुप में देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को स्वीकृत किया गया था। देश में हिन्दी भाषा की महत्ता को प्रदर्शित करने के लिये पूरे भारत में हिन्दी दिवस मनाया जाता है। भारत में हिन्दी भाषा का बड़ा इतिहास है जो इंडों-यूरोपियन भाषा परिवार के इंडों-आर्यन शाखा से संबद्ध रखता है। भारत की सरकार ने देश की आजादी के बाद मातृभाषा को आर्दश के अनुरुप बनाने के लिये एक लक्ष्य बनाया अर्थात हिन्दी भाषा को व्याकरण और वर्तनीयुक्त करने का लक्ष्य। इसे भारत के अलावा मॉरीशस सुरीनाम, नेपाल, और भारत की सीमा से लगते कुछ देश और कुछ दूसरे देशों में भी बोली जाता है। इसे 258 मिलीयन लोगों द्वारा मातृभाषा के रुप में बोली जाती है और ये दुनिया की 5वीं लंबी भाषा है। हिन्दी हमारी मातृ भाषा है और हमें इसका आदर और सम्मान करना चाहिये। देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के एक साथ विकास के कारण, हिन्दी ने कहीं न