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Showing posts from February, 2022

RIP Rahul Bajaj

किसी मंच पर अगर गृह मंत्री अमित शाह , वित्त मंत्री निर्मला रमण , और रेल मंत्री पीयूष गोयल बैठे हों,  लाइव टेलीकास्ट हो रहा हो और अचानक से एक शख्स अपनी कुरसी से उठ कर ये कह दे कि .... 'आप लोगों से डर लगता है कि कब क्या हो जाये? जब यूपीए सरकार थी तो चाहे सरकार को  कुछ भी कह लो डर नही लगता था। आज सभी डरे हुए हैं, हम जिस दौर से  गुजर रहे हैं,  वो ठीक नही है ! आपको अच्छा तो नही लगेगा लेकिन मैं बता रहा हूं कि मैं जब पैदा हुआ था तो मेरा नाम 'राहुल ' पंडित नेहरू ने  ही रखा था। कैसे मर सकते हैं बापू या नेहरु? ये बात  सभी के सामने कहने की हिम्मत बस राहुल  बजाज ने की थी। जो आज हम सबको छोड़ कर चले गये.... हमारा बजाज प्यारा बजाज  !!   तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

Karnatak Hizab Controversy | कर्नाटक में हिजाब विवाद की असल हक़ीक़त

मॉडर्नाइजेशन को दूसरे तबकों के मुकाबले मुसलमानो ने ज़्यादा झिझक के साथ अपनाया इसीलिए इसकी रफ़्तार इस तबके में धीमी रही। इसकी एक वजह थी। दुनिया के ज़्यादातर हिस्सो में यह ब्रिटिश एंपायर की मिलिट्री विक्ट्री के साथ पहुंचा और चाहे वो सल्तनत ए उस्मानिया हो या मुगल हुकुमत, ज्यादातर मौकों पर डिफेटेड पार्टी मुस्लिम्स थे। मैदान ए जंग में हार जाने के बाद उन्होने अंग्रेज हुकूमत के साथ आई हर जदीद चीज़ और सोच को अपने खिलाफ़ एक क्रिश्चियन कांस्पिरेसी तसव्वुर किया। पर्दा भी एक ऐसी ही रस्म थी और एक बड़े वक्त तक बे पर्दा औरतों को तंजिया तौर पर फिरंगी कहा जाता था। लेकिन दूसरी तरफ़ एक छोटा सा तबका इन्ही मुसलमानों में और भी था। मशहूर राइटर  क़ुर्रतुल ऐन हैदर नें उस वक्त अली गढ़ यूनिवर्सिटी से अपना नाम कटा लिया जब उन्हें बे पर्दा लड़को के साथ क्लास में बैठने की इजाज़त नहीं मिली। सैयद सज्जाद ज़हीर की बेटियां जिनमें से एक आज नादिरा बब्बर के नाम से जानी जाती हैं उस वक्त मेरे गांव के बराबर वाले गांव में एक शादी अटेंड करने आईं तो उन्हे बेपर्दा देख कर लोगों ने तवायफ समझ लिया क्यों कि उस वक्त सिर्फ़