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Showing posts from January, 2018

सनम से कलम तक

सनम से कलम तक जुबाँ जो हो गयी हैं बेजुबाँ अपनी, कहे तो क्या कहे हम दास्ताँ अपनी! जब भी कभी सफ़र पे चला था मैं, हर मोड़ पे नए लोगो से मिला था मैं, मैं वो था जो जगमगया महफ़िल में, दोस्त कहते थे फरोज़े-दीया था मैं! ये सच हैं की बाते भी थी गराँ अपनी, कहे तो क्या कहे हम दास्ताँ अपनी!! मैं मशहूर था अपनी पसे-नज़र से, आईन्दा-गुज़र से, और दीदावर से, खबर कहाँ थी बे-सफ़र हो जाऊंगा, मंज़िल से भी गया, गया मैं सफ़र से! दर्द भरी हैं दिले-सोज़े-फुगाँ अपनी, कहे तो क्या कहे हम दास्ताँ अपनी!! नज़र से जब कभी नज़र मिल गयी, लगा के जैसे कोई कली खिल गयी, आप तो आशना हैं मौसमें-बहारा से, ख़िज़ाँ थी बहार आई लेके दिल गयी! दास्ताँ अब बन गयी बियांबाँ अपनी, कहे तो क्या कहे हम दास्ताँ अपनी!! नज़र से अज़्मो-वक़ार हुआ था मैं, तेरी परेशानी के रूबरू खड़ा था मैं, फिर क्या के रिश्ता तोड़ दिया तुमने, या तुम बेवफा थे या बेवफ़ा था मैं! तेरे खातिर थी जिंदगी तूफां अपनी, कहे तो क्या कहे हम दास्ताँ अपनी!! तुमने कर दिया अब बे-वक़ार मुझे, याद करके रोता हूँ कहाँ करार मुझे, मत भूल तुझसे था कभी प्यार मुझे, ये सच हैं अब हैं तु

Paida kahani ki Jaaye.

पैदा कलम से कोई कहानी की जाए, फिर जज़्बातों की तर्जुमानी की जाए! खिलावे हैं खुद भूखे रहकर बच्चों को माँ-बाप के नाम ये जिंदगानी की जाए! ग़म से तो हाल ही में ही बरी हुए हम, मुब्तिला होके बर्बाद जवानी की जाए! सबको आदत हैं बे-वजह हंगामे की, कभी हक़ की भी हक़बयानी की जाए। 'तनहा'आईना के सामने लिखे ग़ज़ल, ऐसे उसकी खुद की पासबानी की जाए तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

गाना या गीत कैसे लिखे।

कैसे एक प्यार भरा गाना लिखें हमेशा से ही प्यार भरे, रोमांटिक गाने, अन्य गानो की तुलना में सूची में ऊपर रहे हैं। सामान्यतः हजारो ऐसे गाने है जो "मैं तुमसे प्यार करता हुँ" से शुरू होते हैं। अगर आप स्वयं का एक प्यार भरा गाना लिखना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। आगे पढ़ते रहे! गीत के शब्द बनाना 1 आपके प्यार के बारे में लिखे: आप अपने दिल को कविता और संगीत में बदले उससे पहले, आप खुद को बिना मीटर और तुकबंदी की असहजता से व्यक्त करना चाहेंगे। यह करने के लिए, आप जिससे प्यार करते है उसके बारे में वर्णन करे, वो आपको कैसा महसूस करवाते है, और साथ होने पर कैसा महसूस करते हैं। आप उनकी शारीरिक विशेषताओ का वर्णन कर सकते है, साथ में वो कैसे दिखते है, वो कैसे चलते है, वो कैसे प्यार करते है, वो कैसे नाचते हैं —कुछ भी जो उन्हें शारीरिक रूप से दर्शाते हैं। साथ ही उनका भावनात्मक वर्णन करे। क्या वे मजबूत, साहसी और स्पष्ठवादी या शांतचित या ध्यानशील है l कुछ भी जो वर्णित करता है कि "वो" कौन है और उनकी व्यक्तित्व की विशेषताए भी लिखने के लिए अच्छी हैं। वर्णन करें "साथ होने के&quo

गिरती इंसानियत

इंसान अब इन्सानियत को खो चूका, करके नापाक हरकते दरिंदा हो चूका! वो लड़की पली थी बड़े ही नाज़ के सामने, घर था खडा हर रिवाज़ के सामने, उसे पाला गया था भले ही प्यार से, खामोश रहती हर आवाज़ के सामने! साफ़ दिल को दरिन्दगी में भिगो चूका, करके नापाक हरकते दरिंदा हो चूका, वो वक़्त से अपने कॉलेज जाती थी, और वक़्त से घर अपने आती थी! वो लड़की थी क्या यही जुर्म था, जो वो तुम्हे पढ़ती नहीं भाती थी! इस कुकर्म से तू इंसानियत मिटो चूका, करके नापाक हरकते दरिंदा हो चूका! तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

क़याम

ये जो हसरते क़याम करती हैं, मेरी जिंदगी नीलाम करती हैं! तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

जनाब अनवर जलालपुरी

अदबी दुनिया का मुनव्वर चला गया, हाय! क्या ग़म के अनवर चला गया! जादुई लहज़ा भी कमाल था उसका, सुख़न का ऐसा मोअतबर चला गया! हरेक लफ्ज़ तेरा ठण्ड भरे हैं दिल में, सरसब्ज़ करता ख़ाकपर चला गया! रहा साथ जब तक पनपी हैं तहज़ीब, दुसरो पे गुफ्तगू का असर चला गया! ये क्या रोवे हैं दुनिया हो होके पागल, फिर इस दुनिया से सुख़नवर चला गया! ये बाद-ओ-गुल-ओ-चमन रखेंगे याद, होके जुदा उनका मोअतबर चला गया! साल-ए-नौ की बधाई दूँ तो दूँ कैसे, आसमा में उर्दू का जिगर चला गया! गीता को बख्शी हैं उर्दू में भी इज़्ज़त, लिखके शायरी में कलमवर चला गया! देख के 'तनहा' हैं उदास तेरे जाने से, उसका तो जैसे पूरा दहर चला गया। तारिक़ अज़ीम 'तनहा'