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Showing posts from 2021

गांधी जयंती पर ये लेख पढ़ें

दक्षिण अफ्रीका से भारत आये मुझे ढाई साल हो चुके हैं।  इसका चौथाई समय मैनें भारतीय रेलों के  तीसरे दर्जे में सफर करते गुजारा है। यह मेरी चॉइस थी, जिससे आम भारतीय यात्रियों से मिलने, बात करने का अवसर मिलता है। लाहौर से कलकत्ता और कराची से केरल तक सफर किया, और भारत के सभी रेलवे सिस्टम में यात्रा कर चुका हूँ। उनके अफसरों को यात्रियों की अवस्था पर कई पत्र भी लिखे हैं। अब वक्त है कि यह बात प्रेस और जनता तक भी पहुचाई जाये।  इस महीने 12 तारीख को मैनें बॉम्बे से मद्रास का टिकट लिया, जिसमे 13 रुपए 9 आने चुकाए। डिब्बे में 22 यात्रियों के लिए सिर्फ बैठने की सीट थी।  मुझे दो रातों का सफर करना था, लेकिन शायिका नही थी। पूना आते आते 22 लोग भर चुके थे, लेकिन इसलिए कि कुछ तगड़े लोग औरों को घुसने नही दे रहे थे। बैठे बैठे हम कुछ सो पाए,  पर रायचूर के बाद स्थिति गम्भीर हो गयी। लोग घुसते गए। रोकने वालों को रेलवे के आड़े हाथों लिया और डिब्बे में पैसेंजर ठूंस दिए। एक मेमन व्यापारी ने ज्यादा विरोध किया तो कर्मचारियों ने पहले उसे पकड़कर इन्सल्ट किया, फिर टर्मिनल आने पर अफसरों को सौप दिया। जमीन पर सोए लोगो, गंदगी औ

Rani Karnavati Sends Rakhi To Humayun । Mughal Empror Humayun

खानवा जंग में बाबर से हारने के बाद राणा सांगा जख़्मी हालत में बच निकले, जंग में मुग़लों से तो बच गए लेकिन राणा सांगा को उनके ही राजपूत सामंतों ने ज़हर देकर मार डाला।  राणा सांगा की मौत के बाद उनके पत्नी रानी कर्णावती ने बेटे उदय सिंह को गद्दी पर बैठाकर सत्ता संभालने की कोशिश की लेकिन ज़्यादा दिन शासन नही कर सकीं राजपूत सामन्तों ने रानी कर्णावती को सत्ता से हटाने के लिए गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह को निमन्त्रण भेजा। सुल्तान बहादुर शाह चित्तोड़ पर हमले के निकल पड़ा, ये ख़बर रानी कर्णवती को भी पहुच गयी।  रानी कर्णावती ने राखी भेजकर मुग़ल बादशाह हुमायूं से मदद मांगी, चिट्ठी मिलते ही हुमायूं ने अपना बंगाल अभियान अधूरा छोड़कर चित्तोड़ का रुख किया। वह जमाना हाथी-घोड़ों की सवारी का था सेना को साथ लेकर सैकड़ों किमी की दूरी तय करना आसान नहीं था और उसमें वक्त लगना लाज़मी भी था। हुमायूं चित्तौड़ पहुंचे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 8 मार्च 1535 में गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह ने चित्तौड़गढ़ के किले पर हमला कर दिया था। रानी कर्णवती ने जौहर कर आग में समा चुकी थीं। जब यह खबर बादशाह हुमायूं तक पहुंची

हिन्दी दिवस स्पेशल

निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति के मूल .. भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने लिखा था, डेढ़ सौ साल पहले। तब वो एक बन्द दुनिया थी। ये दुनिया आगे आने वाले वक्त में खुलने वाली थी, ग्लोबलाइज होने वाली थी। कलोनियलिज्म के दौर में कालोनियल ताकतों ने बन्दूक के जोर पर अपना राजनैतिक प्रभुत्व जमाया। दुनिया के बड़े हिस्से में अंग्रेजी, फ्रेंच, पुर्तगीज, और डच फैली। इस दौड़ में आखिरकार अंग्रेज इसमे सबसे आगे रहे, नतीजा अंग्रेजी भी दुनिया मे आगे रही। अंग्रेजो ने दुनिया लूटी, धन लूटा और लूट लिया दुनिया का ज्ञान और इतिहास। खोजा भी, जीता भी और खुलकर प्रशंसा कीजिये, कि संरक्षित भी किया। लंदन का विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम, नेशनल म्यूजियम, नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, और नेशनल आर्काइव में.. इजिप्ट से इंडिया तक, दुनिया का इतिहास बाइज्जत सुरक्षित रखा है। दोस्ती दुश्मनी, गर्व शर्म से परे चले। बगैर लाग लपेट के ब्रिटिश फौजी को नोचते टीपू का शेर विक्टोरिया म्यूजियम में तमीज से संरक्षित है। रोसेटा स्टोन वहां संरक्षित है। इसके मुकाबले कभी कलकत्ता या काहिरा के धूल फांकते म्यूजियम देखिये। अलमारियों में बेतरतीब ठुंसे अर्टिफेक्ट

पूर्ण चित्र । चंद्रशेखर आज़ाद । ChandraShekhr Aazad

#पूर्ण_चित्र  चंद्रशेखर आजाद जी को अपनी फोटो खिंचवाने से बड़ी चिढ़ होती थी लिहाज़ा बार - बार उनकी एकाध फोटो ही हमारे आसपास घुमती रहती हैं ।  आइए जानते हैं उस बेहद लोकप्रिय फोटो के बारे में जिसमें आजाद अपने मूंछों पर ताव देते नजर आते हैं ।  काकोड़ी कांड के बाद अंग्रेज हाथ धोकर इस डाके में संलिप्त क्रांतिकारियों के पीछे पड़ गए थे । आजाद के साथियों की गिरफ्तारी का सिलशिला शुरू हो चुका था । चारों तरफ जासूसों का जाल बिछा हुआ था ।  आजाद जासूसों से बचते - बचते किसी तरह झांसी पहुंचे । वहां उन्होंने रूद्रनारायण सिंह " मास्टर जी " के आवास में शरण ली । मास्टर जी का आवास कला - संस्कृति और व्यायाम का केंद्र हुआ करता था । सरकारी जासूसों और नौकरशाहों का भी आना - जाना वहां लगा रहता था । इसलिए आजाद ने वहां रूकना मुनासिब नहीं समझा । लाख मना करने के बावजूद भी वह पास के जंगल में एक छोटे से हनुमान मंदिर के पुजारी बनकर रहने लगे ।  फिर एक दिन आजाद को मास्टर जी अपने आवास पर ले आये । कला - प्रेमी होने के साथ - साथ मास्टरजी फोटोग्राफी भी कर लिया करते थे ।  बहुत देर से मास्टरजी आजाद को बिना

खामोशी ही सबसे बेहतर

आप अक्सर ऐसे लोगों से मिलते होंगे जो अपनी अभिव्यक्तियों में बेहद मुखर होते हैं। उनके पास हमेशा बातों का असीम भंडार होता है। किसी भी बातचीत में वे सुनते कम और बोलते ज़्यादा हैं। उन्हें किसी भी मुद्दे पर अपनी राय रखने में कोई संकोच या झिझक महसूस नहीं होती। आमतौर पर ऐसे लोगों को स्मार्ट व्यक्तियों की श्रेणी में रखा जाता है और अधिकांश लोग चाहते हैं कि वे भी उन्हीं की तरह निस्संकोची तथा मुखर व्यक्तित्व के धनी हों। दूसरी तरफ, आपने कुछ ऐसे व्यक्तियों को भी देखा होगा जो आमतौर पर चुप रहते हैं। जिस मुद्दे पर मुखर व्यक्ति आपस में लड़ने-झगड़ने की मुद्रा में दिखाई पड़ते हैं, उन मुद्दों पर भी ये व्यक्ति एकदम शांत बने रहते हैं। आमतौर पर धारणा यही है कि मौन रहने वाले व्यक्तियों का व्यक्तित्व दबा हुआ होता है और प्रायः कोई भी व्यक्ति खुद को इस वर्ग में शामिल नहीं होने देना चाहता। अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों को बचपन से ही मुखर होना सिखाते हैं और अगर कोई बच्चा शांत रहता हो तो यह उसके परिवार के लिये चिंता का सबब बन जाता है। आपमें से कुछ पाठक भी ऐसे होंगे जो सामान्यतः चुप रहना पसंद करते होंगे और उन्हें अपने श

अजब-गजब भारतीय

1 भारतीय ने जॉब छोड़कर कनाडा के 1 बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में सेल्समेन की नोकरी ज्वाइन की। बॉस ने पूछा- तुम्हे कुछ तज़ुर्बा है? उसने कहा कि हा थोड़ा बहुत है  पहले दिन उस भारतीय ने पूरा मन लगाकर काम किया। शाम के 6 बजे बॉस ने पूछा:- आज पहले दिन तुमने कितने सेल किये? भारतीय ने कहा कि सर मैंने 1 सेल किया। बॉस चौंककर बोले:- क्या मात्र 1 ही सेल। सामान्यत: यहाँ कार्य करने वाले हर सेल्समेन 20 से 30 सेल रोज़ाना करते हैं। अच्छा ये बताओं तुमने कितने रूपये का सेल किया। 93300 पाउंड्स। भारतीय बोला। क्या!  लेकिन तुमने यह कैसे किया? आश्चर्यजनक रूप से बॉस ने पूछा। भारतीय ने कहा:- 1 व्यक्ति आया और मैंने उसे एक छोटा मछली पकड़ने का हुक बेचा। फिर एक मझोला और फिर अंततः एक बड़ा हुक बेचा। फिर उसे मैंने 1 बड़ी फिशिंग रॉड और कुछ फिशिंग गियर बेचे। फिर मैंने उससे पूछा कि तुम कहा मछली पकड़ोगे और उसने कहा कि वह कोस्टल एरिया में पकड़ेगा।  तब मैंने कहा कि इसके लिए 1 नाव की ज़रूरत पड़ेगी। अतः मैं उसे नीचे बोट डिपार्टमेंट में ले गया और उसे 20 फीट की डबल इंजन वाली स्कूनर बोट बेच दी। जब उसने कहा कि यह बोट उसकी वोल्कस वेगन

13 अगस्त मुरादाबाद दंगा | इंदिरा गांधी | नरेंद्र मोदी

नोट- ये जितनी भी बातें मैंनें लिखी है ये मुझे एक ट्रैन यात्रा के दौरान किसी प्रोफेसर ने बताई थी, वह व्यक्ति मुझे धार्मिक के साथ व्यक्तिगत तौर भी खरा इंसान लगा था, मुझे (यानी तारिक़ अज़ीम 'तनहा' को) आगरा घूमने जाना था सफ़र लंबा था, कुछ उस व्यक्ति ने मुझे बात बताई कुछ मैंनें उसे अपने किस्से सुनाये लेकिन उसने एक अपनी ज़िंदगी से जुड़ा हुआ किस्सा ऐसा सुनाया की जिसे सुनाते हुए वह व्यक्ति बहुत रोया और आज 1947 से आज तक हो रहे एलेक्शन्स में वोट बैंक कैसे बनाया जाता है उसे सुनकर मैं आश्चर्यचकित रह गया। चूंकि मैं एक शायर और लेखक भी हूँ तो मैंनें उस दिन को जस के तस आपके सामने रख दिया है, आप यह उसकी जिंदगी से जुड़ा हुआ किस्सा पढ़िए। 13 अगस्त 1980 तारीख़ का वो दिन है, जिसे भूल पाना मुश्किल है, ये वो दिन था जब #मुरादाबाद ईदगाह में सैकड़ों #नमाज़ियों को गोलियों से भून दिया गया था, ये अलग बात है कि आज उसकी बरसी है और सोशल मीडिया पर सन्नाटा है, इस नरसंहार पर खामोशी की सबसे बड़ी वजह शायद आपको मालूम ना हो, लेकिन इस खामोशी की सबसे बड़ी वजह ये है कि ये नरसंहार बाक़ायदा #कांग्रेस की देखरेख में हुआ था, और ये कोई ह

सुन लो आज़ाद भारत के नागरिको इसे कहते है गुलामी।

 बिजली ईजाद नहीं हुई और सीलिंग फैन वग़ैरह की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी तब "अंग्रेज़ बहादुर" खास टाइप का कपड़ा कमरे में लटका कर उसकी डोरी कमरे के बाहर ग़ुलामों के पैरों में बांध दिया करते थे और बारी-बारी दिन रात अपने पैरों को हिलाते रहना ग़ुलामों का काम होता था...इस बात का ख़ास़ ख़याल रखा जाता था कि ग़ुलाम कान से बहरे हों ताकि उनकी बातों को सुन ना सकें... अंग्रेज़ों के ज़माने में ICS अधिकारी रहे "क़ुदरतुल्ला शहाब" अपनी किताब 'शहाब नामा' में लिखते हैं कि जब उन ग़ुलामों को नींद लगती तो अंग्रेज़ कमरे से निकल कर जूते पहनकर पेट पर वह़शियों की तरह वार करते थे जिससे गुलामों के पेट फटकर आतड़ियां तक बाहर आ जाती थीं और वह मर जाते थे...जुर्माने के तौर उस अंग्रेज़ से ब्रिटिश अदालत मात्र 2₹ वसूल करती थी...ना जेल ना ही कोई और सज़ा... आज उनकी ही औलादें आज हमें "इंसानियत का मंजन" बेचती हैं.. यह उसी वक़्त की एक शर्मनाक तस्वीर है। तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

Bachpan Ka Pyaar | Baashah | Bhool Nahi Jana Re

विचारणीय विषय  आइकन्स.... आज की तारीख तक चाइना 38 गोल्ड के साथ 87 मेडल लेकर शीर्ष पर है। अमेरिका 36 गोल्ड सहित 108 मेडल के साथ द्वितीय, जापान 27 गोल्ड 56 मेडल के साथ तीसरा और ब्रिटेन 20 गोल्ड 63 के साथ पाचवे ऑस्ट्रेलिया 17 गोल्ड 46 मेडल लेकर छठे नम्बर पर है और भारत 1 गोल्ड 2 सिल्वर, 4 ब्रांज के साथ 7 मेडल लेकर 47 स्थान पर है। और हमारे यहां ट्रेंड कर रहा है "जानू मेरी जानेमन बचपन का प्यार मेरा भूल न जाना रे।" एक मुख्यमंत्री उस बच्चे से मिलकर उसे सुपरस्टार का दर्जा दे रहा है। मानो वह टोक्यो से गोल्ड ले आया हो। इसमें गलती उस बच्चे की भी नहीं है, वह तो बस एक मोहरा भर है। इसके पीछे पूरी एक टीम लगी होगी, जो जबर्दस्ती उसे सुपरस्टार बनाने पर तुली है। ताकि उसे बच्चों का आइडल बनाया जा सके। क्योंकि आजकल हर बच्चे के हाथ स्मार्टफोन है। स्कूल बंद हैं सो भरपूर टाइम भी है। जिस उम्र में चीन, अमेरिका, थाई, मलेशियाई बच्चे स्पोर्ट स्कूल में दाखिला लेकर अपने गोल्ड वाले सपने की तरफ पहला कदम बढ़ाते हैं। उस उम्र है हमारे बच्चे आजकल टिकटोक टाइप वीडियो बनाना सीख रहे हैं। पुनः कहूंगा गलती उनकी नहीं बल्क

यूपी बोर्ड के रिजल्ट के हवाले से पिताजी से एक गुफ़्तुगू।

रिजल्ट तो हमारे जमाने में आते थे, जब पूरे बोर्ड का रिजल्ट 17 ℅ हो, और उसमें भी आप ने वैतरणी तर ली हो  (डिवीजन मायने नहीं, परसेंटेज कौन पूँछे) तो पूरे कुनबे का सीना चौड़ा हो जाता था।  दसवीं का बोर्ड...बचपन से ही इसके नाम से ऐसा डराया जाता था कि आधे तो वहाँ पहुँचने तक ही पढ़ाई से सन्यास ले लेते थे।  जो हिम्मत करके पहुँचते, उनकी हिम्मत गुरुजन और परिजन पूरे साल ये कहकर बढ़ाते,"अब पता चलेगा बेटा, कितने होशियार हो, नवीं तक तो गधे भी पास हो जाते हैं" !! रही-सही कसर हाईस्कूल में पंचवर्षीय योजना बना चुके साथी पूरी कर देते..." भाई, खाली पढ़ने से कुछ नहीं होगा, इसे पास करना हर किसी के लक में नहीं होता, हमें ही देख लो...  और फिर , जब रिजल्ट का दिन आता। ऑनलाइन का जमाना तो था नहीं,सो एक दिन पहले ही शहर के दो- तीन हीरो (ये अक्सर दो पंच वर्षीय योजना वाले होते थे) अपनी हीरो स्प्लेंडर या यामहा में शहर चले जाते। फिर आधी रात को आवाज सुनाई देती..."रिजल्ट-रिजल्ट" पूरा का पूरा मुहल्ला उन पर टूट पड़ता। रिजल्ट वाले #अखबार को कमर में खोंसकर उनमें से एक किसी ऊँची जगह पर चढ़ जाता। फिर वहीं से न

जानिए लोटा और गिलास के पानी में अंतर।

जानिए लोटा और गिलास के पानी में अंतर भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये गिलास जो है विदेशी है, गिलास भारत का नही है। गिलास यूरोप से आया और यूरोप में पुर्तगाल से आया था. ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये. गिलास अपना नही है अपना लोटा है और लोटा कभी भी एकरेखीय नही होता तो वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका त्याग कीजिये वो काम के नही हैं, इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता लोटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है. इस पोस्ट में हम गिलास और लोटा के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे। फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही गुण उसमें आते है। पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं, जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं। दही में मिला दो तो छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा। दूध में मिलाया तो दूध का गुण, लोटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा। अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा। और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का सरफेस टेंशन कम र

Micheal Phelps | माइकल फिलिप

ओलंपिक और विश्वगुरू.... टोक्यो में चल रहे ओलंपिक खेलों की मेडल टैली में कल शामतक भारत अंडर 50 में भी नहीं था! फिर सूबेदार नीरज चोपड़ा ने पूरे दम के साथ भाला फेंका और हम 67वें पोजिशन से 20 अंकों की उछाल लेकर सीधे 47वें पोजिशन पर आ गए! एक गोल्ड मैडल और 20 अंकों की उछाल!!! 138 करोड़ की आबादी वाला देश कल से सीना फुलाए घूम रहा है! क्रेडिट लेने देने की होड़ सी मची हुई है! हर किसी में सूबेदार साहब से जुड़ने की ललक दिखाई पड़ रही है! क्योंकि उन्होंने गोल्ड दिलाया है! 138 करोड़ की आबादी में मात्र एक स्वर्ण पदक!!  क्या ये गर्व का विषय है? पदक तालिका पर नजर डालेंगें तो आप पाएंगे कि हम कुल 7 ओलंपिक पदकों (स्वर्ण, रजत और कांस्य) के साथ 47वें स्थान पर हैं!  ....और जो देश प्रथम (चीन-38 स्वर्ण पदक)  द्वितीय (USA-36 स्वर्ण पदक व तृतीय स्थान (जापान-27 स्वर्ण पदक) पर हैं उनके सिर्फ स्वर्ण पदकों की संख्या हमारे कुल पदकों की संख्या से लगभग 4 गुनी या 5 गुनी है! शीर्ष पर बढ़त बनाये हुए इन देशों के साथ ऐसा नहीं है कि वे सिर्फ खेलों में ही अच्छा कर कर रहे हैं और बाकी क्षेत्रों में फिसड्डी हैं!  इनकी विकास दर, औद्यिगिक

Reservation | आरक्षण | शिवांगी पुरोहित

"गटर में डूबती जिंदगी" दोपहर की चिलचिलाती धूप में गटर का ढक्कन खुला हुआ था। वह गली सुनसान थी। इतनी धूप में कोई अपने घर से बाहर नहीं निकलना चाहता था। गटर के उस गड्ढे से रह-रहकर पानी के कुलबुलाने की आवाज़ आ रही थी। थोड़ी देर बाद एक सिर बाहर निकला। इधर उधर देखा और फिर वह पूरा का पूरा आदमी उस गड्ढे से बाहर आ गया। गटर के काले बदबूदार पानी से नहाया हुआ। सूरज की तरफ देख आप भेज कर उसने गटर का ढक्कन बंद कर दिया। पसलियों से चिपके उस शरीर में शायद जान नहीं थी। केवल शरीर था पर आत्मा मर चुकी थी। इसलिए उस गटर के बदबूदार पानी में डुबकी लगाने पर उसकी आत्मा नहीं तिलमिलाई। उसने पास रखी अपनी शर्ट उठाई और थोड़े आगे चलकर एक सार्वजनिक नल के नीचे बैठ गया। काफी देर तक बैठा रहा और फिर उठकर खड़ा हो गया। शरीर पर लिपटे मैले कपड़ों का पानी जब निथर गया तो अपनी शर्ट कंधे पर रखकर धीरे धीरे चलने लगा। काफी देर तक चलता रहा पता नहीं मंजिल क्या थी उसकी। उसके कदम नगर पालिका के गेट के सामने जाकर रुक गए। अंदर जाकर देखा तो बड़े बाबू किसी से बातचीत कर रहे थे। वही आंगन में खड़ा रहा। शायद चिलचिलाती धूप का कोई असर नहीं

गीत कैसे लिखे विधि 1 how to write a song

हमेशा से ही प्यार भरे, रोमांटिक गाने, अन्य गानो की तुलना में सूची में ऊपर रहे हैं। सामान्यतः हजारो ऐसे गाने है जो "मैं तुमसे प्यार करता हुँ" से शुरू होते हैं। अगर आप स्वयं का एक प्यार भरा गाना लिखना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। आगे पढ़ते रहे! 1. आपके प्यार के बारे में लिखे:  आप अपने दिल को कविता और संगीत में बदले उससे पहले, आप खुद को बिना मीटर और तुकबंदी की असहजता से व्यक्त करना चाहेंगे। यह करने के लिए, आप जिससे प्यार करते है उसके बारे में वर्णन करे, वो आपको कैसा महसूस करवाते है, और साथ होने पर कैसा महसूस करते हैं। आप उनकी शारीरिक विशेषताओ का वर्णन कर सकते है, साथ में वो कैसे दिखते है, वो कैसे चलते है, वो कैसे प्यार करते है, वो कैसे नाचते हैं —कुछ भी जो उन्हें शारीरिक रूप से दर्शाते हैं। साथ ही उनका भावनात्मक वर्णन करे। क्या वे मजबूत, साहसी और स्पष्ठवादी या शांतचित या ध्यानशील है l कुछ भी जो वर्णित करता है कि "वो" कौन है और उनकी व्यक्तित्व की विशेषताए भी लिखने के लिए अच्छी हैं। वर्णन करें "साथ होने के" रिश्ते के बारे में बताये। आप साथ में जो करते है,

Maujo Ki Sune, Dariyao Se Saleeqa Rakhe

मोज़ों की सुने और दरियाओं से सलीक़ा रखे, यानी खंजरों में रहे और लबो पर नग़मा रखे। ये ज़र्फ़ मुझको बख़्शा है मेरी अना ने के, जंग में भी दुश्मनों से कोई तो रिश्ता रखे। कोई है जो सैलाबों-तूफां के मुक़ाबिल हो, कोई है जो लहरों से लड़ने का ज़ज़्बा रखे। ये दुआ की थी उसने मुझसे बिछड़ते हुए के, जा खुदा तुझको उम्र भर 'तनहा' रखे। तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

Israel- Palestine Conflict

अरब इसराइल के बीच जंगों का हाल पढ़िए ऐसा नहीं है कि अरब सिर्फ हारे हैं अरबों ने जीत भी दर्ज की है जैसे 1948 में जब जंग शुरू हुई तो शुरू में अरबों का पलड़ा भारी था छह हजार से ज्यादा इसराइली मारे गए थे , 1968 में इसराइल ने जार्डन पर हमला किया और पंद्रह घंटों में ही 250 सैनिकों की हत्या और 400 सैनिकों के घायल होने से घबराकर समझौता करके भागा  1973 की जंग में भी मिस्र की कब्जा की हुई जमीन छोड़नी पड़ी  लेकिन बड़े रेफरियों ने अरबों को अपनी जीत का फायदा उठाने नहीं दिया जबकि इसराइल ने जिन क्षेत्रों पर कब्ज़ा किया उसे संयुक्त राष्ट्र संघ भी खाली नहीं करा सका. आप के पास पावर न हो तो आप जीत का भी फायदा नहीं उठा सकते. 1920 में फ़िलीस्तीन ब्रिटिश मैंन्डेट का हिस्सा बन गया यानि एक तरह से ब्रिटिश कालोनी बन गया उसके बाद से ब्रिटिश अफ़सरों की मदद से फ़िलीस्तीन में‌ दुनिया भर से यहूदी आकर बसने लगा शुरू में तो अरबों ने खास विरोध नहीं किया लेकिन धीरे धीरे जब यहूदियों की कालोनियां बसने लगी तो अरबों का विरोध शुरू हुआ जिसके लीडर थे शैख इज़्ज़दीन अब्दुल क़ादिर अल क़ासम ,शैख को ब्रिटिश यहूदी पुलिस ने शहीद कर दि

पितृसत्तामक समाज पर लानत

के इस दौर में एक संकट बड़ा गहराया है, सभी साथी पढ़े और ऐसे लोगो की मदद करे क्योकि ये वाक़या आज मेरे साथ पेश आया है और ये एक सच्ची दास्तान है। एक परिवार में पति पत्नी और उनकी एक बेटी थी तो हुआ ये की 2009 में उस हँसते खेलते परिवार में उस पत्नी के पति की मृत्यु हो जाती है और फिर उस माँ और बेटी पर जो कहर साली का पहाड़ टूटा जो गुरबत की बेड़िया गिरी उसकी कैफ़ियत मैं शायद बयान भी न कर पाऊं, उस औरत के पति ने जो कुछ कमाया था वो कुछ महीने कुछ हफ़्ते तक तो उनकी जरूरतें पूरी करता रहा मगर उनके ज़िन्दगी भर के ख़र्चे के लिये काफी नहीं था। बेटी की मां ने अपनी बच्ची की परवरिश के लिए अपने भाई और पिताजी के घर की तरफ़ रुख किया, बेटी की माँ अपने भाईयों और बाप के ताने सुनती थी उसके भाई कहते थे कि अपने पति के घर जा मगर वह असहाय थी बच्ची छोटी थी उसकी परवरिश को लेकर बेचारी माँ ने ये सोचकर अपने ननिहाल का रुख किया था कि शायद मेरे भाई मेरी मदद करेंगे क्योंकि वो सब सरकारी नौकरी पर है मगर मैं थूकता इस पितृसत्ता वादी समाज पर जिसने उस औरत पर लगातार 10 साल ज़ुल्म के पहाड़ तोड़े उस बेचारी औरत और बेटी को अपने घर मे एक नौकर से गिरा ह

फिल्मी गानों की तकती बहर पार्ट-1

फ़िल्मी गानों की तकती के कुछ उदाहरण ....           1222 1222 1222 1222                             ( hazaj musamman salim ) (१) -#बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है |       -#किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है       -#भरी दुनियां में आके दिल को समझाने कहाँ जाएँ       -#चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों       *ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना       -#कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है |        -#  ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा        *ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए |        *मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने |        *हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले |        *बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं |        *मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहाँ जाएँ |        *मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता |        *सुहानी रात ढल चुकी न जाने तुम कब आओगे |        *कभी तन्हाईयों में भी हमारी याद आएगी |        *परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है | (pa1ras2tish2 kii2 ta1man2na2 hai2 'i1baa2dat2 ka2 i1raa2daa2 h