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Showing posts from March, 2019

She Still Waiting For Mee

वो  आज    भी   मेरा  इंतज़ार करती हैं, कहते हैं अब भी मुझे वो प्यार करती हैं! रो-रोकर    तमाम  रात   मेरी  यादों  में, आँखों   को   अपनी दो  चार करती हैं! ज़बाँ  करती  हैं इज़हार कुछ और मगर, आँखे   कुछ  और ही इज़हार करती हैं! मुझसे प्यार हैं उसको पर ना जाने क्यों, मिलती हैं  हर बात पे तक़रार करती हैं! आती हैं  तो छा जाती हैं चेहरे पर हसी, चली  जाती हैं तो मुझे बेज़ार करती हैं! 'तनहा'  कदमों में  पड़ी होंगी एक रोज़, जो सब शोहरतें मुझे इनकार करती हैं! तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

अनसुने शेर

*ऐसे बहुत से अशआर हैं, जिनका एक ही मिसरा इतना मशहूर हुआ कि लोग दूसरे मिसरे को तो भूल ही गये। ऐसे ही चन्द मशहूर अशआर यहाँ पेश हैं:* "ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है, *वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है।*" *- मिर्ज़ा रज़ा बर्क़* "ऐ 'ज़ौक़' देख दुख़्तर-ए-रज़ को न मुँह लगा, *छूटती नहीं है मुँह से ये काफ़िर लगी हुई।"* दुख़्तर-ए-रज़ = शराब *- शेख़ इब्राहीम ज़ौक़* "भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया, *ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।"* *- माधव राम जौहर* "चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले, *आशिक़ का जनाज़ा है, ज़रा धूम से निकले।"* *- मिर्ज़ा मोहम्मद अली फिदवी* "दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से, *इस घर को आग लग गई,घर के चराग़ से।"* *- महताब राय ताबां* "ईद का दिन है, गले आज तो मिल ले ज़ालिम, *रस्म-ए-दुनिया भी है,मौक़ा भी है, दस्तूर भी है।"* *- क़मर बदायुनी* "ख़ंजर चले किसी पे, तड़पते हैं हम 'अमीर', *सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है।"* *- अमीर मीनाई* "क़ैस जंगल मे

तेरी यादें हैं....

तेरी यादों हैं, और अश्क़बारी हैं, हमपे कैसी ये फ़िराक़तारी हैं! मैंने दिल में उसे बसाया हैं, वो जो सूरत सबसे प्यारी हैं! बस तेरा ही नशा हैं मुझमें, बस तेरी ही अब खुमारी हैं! वो जो सूरत दिल मे रहती हैं, शायरी में उसे उतारी हैं! जो गुज़ारी ना सकी मुझसे, बिन तेरे वो भी शब गुज़ारी हैं! वो हसीं पल भी सब हमारे थे, ये शबे-हिज़्रा भी हमारी हैं! शबभर हम न सो सके लेकिन, आंखे बोझल क्यो तुम्हारी हैं! अपने बस में ही नहीं कब से, 'तनहा' ऐसी जिंदगी हमारी हैं! तारिक़ अज़ीम 'तनहा'