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अनसुने शेर

*ऐसे बहुत से अशआर हैं, जिनका एक ही मिसरा इतना मशहूर हुआ कि लोग दूसरे मिसरे को तो भूल ही गये। ऐसे ही चन्द मशहूर अशआर यहाँ पेश हैं:*

"ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है,
*वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है।*"

*- मिर्ज़ा रज़ा बर्क़*

"ऐ 'ज़ौक़' देख दुख़्तर-ए-रज़ को न मुँह लगा,
*छूटती नहीं है मुँह से ये काफ़िर लगी हुई।"*

दुख़्तर-ए-रज़ = शराब

*- शेख़ इब्राहीम ज़ौक़*

"भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया,
*ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।"*

*- माधव राम जौहर*

"चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले,
*आशिक़ का जनाज़ा है, ज़रा धूम से निकले।"*

*- मिर्ज़ा मोहम्मद अली फिदवी*

"दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से,
*इस घर को आग लग गई,घर के चराग़ से।"*

*- महताब राय ताबां*

"ईद का दिन है, गले आज तो मिल ले ज़ालिम,
*रस्म-ए-दुनिया भी है,मौक़ा भी है, दस्तूर भी है।"*

*- क़मर बदायुनी*

"ख़ंजर चले किसी पे, तड़पते हैं हम 'अमीर',
*सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है।"*

*- अमीर मीनाई*

"क़ैस जंगल में अकेला ही मुझे जाने दो,
*ख़ूब गुज़रेगी, जो मिल बैठेंगे दीवाने दो।"*

*- मियाँ दाद ख़ां सय्याह*

'मीर' अमदन भी कोई मरता है,
*जान है तो जहान है प्यारे।"*

*- मीर तक़ी मीर*

"शब को मय ख़ूब पी, सुबह को तौबा कर ली,
*रिंद के रिंद रहे हाथ से जन्नत न गई।"*

*- जलील मानिकपूरी*

"शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दी,
*कोई पत्थर से न मारे मेंरे दीवाने को।"*

*- शैख़ तुराब अली क़लंदर काकोरवी*

"ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
*लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।"*

*- मुज़फ़्फ़र रज़्मी*

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फिल्मी गानों की तकती बहर पार्ट-1

फ़िल्मी गानों की तकती के कुछ उदाहरण ....           1222 1222 1222 1222                             ( hazaj musamman salim ) (१) -#बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है |       -#किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है       -#भरी दुनियां में आके दिल को समझाने कहाँ जाएँ       -#चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों       *ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना       -#कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है |        -#  ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा        *ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए |        *मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने |        *हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले |        *बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं |        *मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहाँ जाएँ |        *मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता |        *सुहानी रात ढल चुकी न जाने तुम कब आओगे |        *कभी तन्हाईयों में भी हमारी याद आएगी |        *परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है | (pa1ras2tish2 kii2 ta1man2na2 hai2 'i1baa2dat2 ka2 i1raa2daa2 h

उर्दू से हिंदी शब्द कोश

🌹🌹 *उर्दू से हिंदी शब्द कोश*🌹🌹                    *क़िस्त 67* 🔹इफ़लास  افلاس(पु०अ०-इफ़्लास)दरिद्रता,ग़रीबी। 🔹इफ़लाह  افلاح(पु० अ०-इफ़्लाह)भलाई,उपकार। 🔹इफ़शा,अ افشا(पु०अ०-इफ़्शा) प्रकट करना,ज़ाहिर करना। 🔹अफ़शां افشاں(स्त्री०फ़ा०)चाँदी सोने का बुरादा जो औरतें बालों पर छिड़कती या मांग पर लगाती हैं,जो चीज़ छिड़की जाय। 🔹अफ़शानी افشانی(वा०स्त्री०फ़ा०)छिड़कना,बिखेरना। 🔹अफ़शुरदह افشردہ(वि०फ़ा०)निचोड़ा हुआ,पु०-वो शरबत जो फल इत्यदि निचोड़ कर बनाई जाय। 🔹इफ़हाम افہام(पु०अ०)समझाना। 🔹इफ़ाक़ा افاقہ)पु०अ०-इफ़ाकः)रोग आदि में कमी,होश में आना। 🔹इफ़ादत افادت(स्त्री०अ०)हित करना,लाभ पहुँचाना। 🔹इफ़दा افادہ( पु०अ०)लाभ,राहत। 🔹इफ़्तख़ार   افتخار(पु०अ०-इफ्तिख़ार)फ़ख़्र या अभिमान करना,प्रतिष्ठा,इज़्ज़त। 🔹इफ़्तताह افتتاح(पु०अ०)पु०अ०)खोलना,ज़ाहिर करना,बेनक़ाब करना,शुरू करना। 🔹इफ़्तिरा افترا(पु०अ०)झूठा कलंक,तोहमत। 🔹इफ़्तिरा परदाज़ افترا پرداز --तोहमत लगाने वाला,इल्ज़ाम लगाने वाला। 🔹इफ़्तिरा परदाज़ी افتراپردازی--बुहतान लगाना,तोहमत रखना,इल्ज़ाम लगाना। क्रमशःजारी ----------         

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