तेरी यादों हैं, और अश्क़बारी हैं,
हमपे कैसी ये फ़िराक़तारी हैं!
मैंने दिल में उसे बसाया हैं,
वो जो सूरत सबसे प्यारी हैं!
बस तेरा ही नशा हैं मुझमें,
बस तेरी ही अब खुमारी हैं!
वो जो सूरत दिल मे रहती हैं,
शायरी में उसे उतारी हैं!
जो गुज़ारी ना सकी मुझसे,
बिन तेरे वो भी शब गुज़ारी हैं!
वो हसीं पल भी सब हमारे थे,
ये शबे-हिज़्रा भी हमारी हैं!
शबभर हम न सो सके लेकिन,
आंखे बोझल क्यो तुम्हारी हैं!
अपने बस में ही नहीं कब से,
'तनहा' ऐसी जिंदगी हमारी हैं!
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
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