तक़दीर जो हमपर मेहरबाँ नहीं!
हमसे कोई तरहे-आशियाँ नहीं!
लौट आओ ऐ ताइर गुलशन में!
बहार आ गयी अब ख़िज़ाँ नहीं!!
गम ओ रुसवाई ऐदर्द में मज़ा हैं!
सच ये हैं हम इनसे परेशाँ नहीं!!
हमसफ़ीर ने फूंक डाला नशेमन!
इसमें कसूरे-बर्के-आसमाँ नहीं!!
'तनहा' ये जाना कलम देखकर!
जुबां नहीं इसकी मगर बेज़ुबाँ नहीं!!
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