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अहदे-वफ़ा उनसे निभाया ना गया
प्यार कभी उनसे जताया ना गया

क्या रकीबे-दामन इतना खूब था
जो बज़्म में हमे ही बुलाया ना गया

बर्के-सोजा ने फूँक डाला आशियाँ
मुझसे फिर नशेमन बनाया ना गया

वो ना होता, तो और ख्याल होता
उससे  ही दामन छुड़ाया ना गया

जिसे भूलने की बात करता था मैं
हमे उसे ही कभी भुलाया ना गया

देख ली जो उस परीवश ने तन्हाई
मुझे फिर 'तनहा' बताया ना गया

-----तारिक़ अज़ीम 'तनहा'


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