मौसम जो सुहाना हुआ जाता है
दिल फिर दीवाना हुआ जाता है
आ गए छत पर खुशिया उड़ाने
मांझे से पतंग उड़ाना हुआ जाता है
उठा दे आवाज़ खिलाफ जुर्म के
धीरे से उसे दबाना हुआ जाता है
आ जाओ के यहाँ है इश्के-दवा
बज़्म में पीना-पिलाना हुआ जाता है
फिर रात में इक शम्अ जलती हैं
'तनहा' फिर परवाना हुआ जाता है
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