गुलशन की तलब हैं ना, सितारों की तलब हैं!
मुझे तो बस गुज़रते रमज़ान की, बहारो की तलब हैं!!
सेहरी ओ इफ्तार पे,.... वो खुशनुमा आलम!
इबादत का हो हर लम्हा नज़ारो की तलब है !!
नबी के इश्क़ में तुझसे,......दुआ है या रब!
नज़र आए नबी खवाबो में बेचारो की तलब है !!
मौत से पहले देखले एक बार शहर नबी का!
इफ्तार हो मदीने में रोजेदारों की तलब है!!
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