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Showing posts from October, 2024

फ़हमी साहिब की विरासत: शायरी के लहजे का अनमोल ख़ज़ाना Fehmi Badayuni RIP

मेरे हिस्से के फ़हमी साहिब  ============== दोस्तो: रात के दस बजा चाहते हैं, फ़हमी साहिब की अचानक वफात का दुःख पहले से ज़ियादः शिद्दत इख्तियार कर रहा है.... कम-ओ-बेश इसी वक़्त बात हो जाती थी हम दोनों में अक्सर रात को..फिलहाल इज़्तराब की कैफयत है, जब तक कुछ लिख न लूं , राहत न मिले गी.. फुर्सत से फिर किसी रोज़, आज बस इतना ही जो कुछ ज़ेहन में आ पा रहा है.. मुझे नहीं पता के फ़हमी साहिब आप में से किस किस के दोस्त थे? किस के कितने करीब थे? अलबत्ता मेरे बहुत करीब थे, बहुत जियादा करीब.. बड़ी clarity थी कुछ बातों को ले कर हमारे बीच..अक्सर इख्तालाफ भी होता था. लेकिन अपनी इल्मियत की धोंस ज़माने वाला इख्तिलाफ नहीं, जैसे तेसे लड़ते भिड़ते किसी एक नुक्ते पे पहुँचने वाला इख्तालाफ..शायद इसी अपनेपन और दावेदारी के तहत मैं खुल कर उन के अशआर पे अपनी ईमानदार राय देता था..  मैं अपने शेरों पे, उन का दिया हुआ मशवरा एक मिनट में मान लेता था, और वो मेरा मशवरा दस सेकंड में..मेरे कितने अशआर और मिसरों की सेहत फ़हमी साहिब ने दुर्रुस्त की..उन के कितने अशआर आप तक पहुँचने से पहले मेरी नज़र से गुज़ारे गए .. हम दोनों एक दुसरे के पहले-का