राजपूत मुस्लिम कैसे बने ???
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..... राजपूत क़ौम युद्ध में अपनी बहादुरी के लिये जानी जाने वाली क़ौम है, इसलिये मैं अक्सर सोचता था कि हमारे राजपूत पूर्वजों के जबरन मुसलमान बनाये जाने की जो अफवाहें सुनी जाती हैं वो सच कैसे हो सकती हैं, जबकि राजपूत युद्ध में हारने के बाद अपमान भरा जीवन जीने की बजाय ख़ुद अपना गला काटकर आत्मबलिदान देना पसन्द करते थे, इतिहास में ऐसे अनगिनत उदाहरण मिलते हैं.. . फिर ये कैसे हो सकता है कि इन राजपूतों को कोई तलवार के बल पर जबरन मुसलमान बना दे, और ये बिना आस्था के इस्लाम अपनाने को अपनी नियति मान लें ??
.... पर इस बारे में कुछ साल पहले कुछ दिलचस्प जानकारी मिली, .... इतिहासकार भूप सिंह जी ने मुस्लिम राजपूतों के बारे में जो बताया वो बात सबसे ज़्यादा प्रमाणिक लग रही है कि पुराने समय में तुर्कों या मुगलों वगैरह से युद्ध होता था, तो योद्धा होने के नाते राजपूतों के अलावा कोई युद्ध में नही जाता था,
.... यही राजपूत अगर प्रतिपक्ष द्वारा हराकर बन्दी बना लिए जाते थे, जब तक कि कोई सन्धि न हो, फिर जब साल छह महीने बाद ये राजपूत रिहा होकर अपने घर पहुँचते तो इनसे ये कहा जाता कि तुमने इतने दिन क्या खाया पिया ? जब ये बताते कि हमने बन्दी अवस्था मे, मजबूरी में मुसलमान रसोइयों का बनाया खाना ही खाया,
.... तब इन राजपूतों से इनकी बिरादरी वाले ये कहते कि तुमको ज़रूर तुर्कों ने गोमांस खिला दिया होगा, और अब तुम मुसलमान हो गए हो, और हमारे किसी काम के नही रहे, .... ये कहकर उनको जात बाहर कर दिया जाता, व इनको "रांघड़" यानी युद्ध मे गढ़ा हुआ मुसलमान नाम दे देते ... इस तरह मुस्लिम राजपूतों की एक बड़ी संख्या खुद ब खुद वजूद में आती गई
..... यूँ ही एक दूसरे राजपूत समुदाय के पुराने जानकार गुलाब सिंह राजपूत ने मुहम्मद अली जिन्ना के पूर्वजों के बारे में बताया कि किस तरह जिन्ना के पूर्वज हिन्दू राजपूत थे, और गरीबी के कारण मछली बेचने का काम करने लगे, जिसे देखकर उनकी बिरादरी ने उन्हें जात बाहर कर दिया व इसके बाद उन्होंने शिया मुसलमानों की आगा खानी शाखा को अपना लिया....
.... भूप सिंह साहब ने हरियाणा के राजपूत मुसलमानों के बारे में जो बातें बताईं कि वो मुस्लिम बनने के बावजूद हिन्दू राजपूतों को अपने परिवार की तरह मानते हैं और अपने राजपूत इतिहास से जुड़ी कई परम्पराओं से आज भी जुड़ाव महसूस करते हैं... वो ही बात मैंने पूर्वी उत्तर प्रदेश में बसे अपने मुस्लिम राजपूत खानजादा बिरादरी में भी पाई है, कि खासकर शादी ब्याह से जुड़ी हमारी कई परम्पराएं राजपूतों वाली ही हैं....
ये देखकर लगता है कि किसी मुसलमान शासक ने जबरन हमारे राजपूत पूर्वजों को उनकी पुरानी परम्पराओं से नही काटा था, बल्कि हमारे पूर्वजों ने ख़ुद को अपनी पुरानी परम्पराओं से भरसक जोड़े रखने की ही कोशिश की, लेकिन हमारे पूर्वजों को अशुद्ध मानकर जात बाहर कर देने की वजह से उन्हें मुस्लिम पहचान को अपनाना पड़ा था..... आज भारत और पाकिस्तान में अगर जाति के लिहाज़ से देखें तो मुस्लिम राजपूतों की संख्या बाकी जातियों से कहीं ज़्यादा ही ठहरेगी, ऐसा मुझे लगता है... मुसलमानों में एक बहुत बड़ा प्रबुद्ध वर्ग मुस्लिम राजपूतों में से भी आता है, जिनका इतिहास किसी तलवार के बल पर जबरन धर्म परिवर्तन के तमाम किस्सों को झूठा साबित करता है
- Tariq Azeem 'Tanha'
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