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जो राज़ गहरे

जो राज़ गहरे दबाके बैठो हो उन्हें बता दूं तो क्या करोगे,
सितम के किस्से जो सरे-महफ़िल मैं सुना दूँ तो क्या करोगे!

हसद की बातें, दिलों में नफ़रत, रहेगी कब तक, चलेगा कब तक,
उल्फ़त शम्मा दिलों में सबके जो मैं जला दूँ तो क्या करोगे!

वफ़ा की बातें, मुहब्बत के किस्से न सुनाओ तुम ही तो है बेहतर
जो लैपटॉप में है एक तस्वीर गर तुम्हें दिखा दूँ तो क्या करोगे!

हुक़ूमत पे तबसिरे, करोगे कब तक ऐ लोगो तुम बोझ बनकर,
मैं इंकिलाब की आमद तुम्हारें हाथों में गर थमा दूँ तो क्या करोगे।

वर्दी-ओ-बन्दूक मासूमों पर जो तुम चलाते हो तो मेरी भी सुन लो,
हुक़ूमत का बागी, 'तनहा' सो रहा है, जो उसे जगा दूँ तो क्या करोगे।

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