बॉलिवुड की सदाबहार फ़िल्म "मुग़ल ए आज़म" का मशहूर डायलॉग दिलीप कुमार ने कहा है -
"अगर उमर खय्याम की रूबाई सुनहरे वर्क के बजाए पथरीली ज़मीन पर लिख दी जाए तो क्या उसके माने बदल जाएंगे?"
उमर खय्याम जो फ़ारसी के मशहूर शायर होने के साथ बहुत बड़े गणितज्ञ भी थे, इनपर Manoj Abhigyan ने पोस्ट लिखा है पढिए -
खय्याम को हम उनकी चार लाइनों में लिखी जाने वाली खास कविता, रुबाईयों के लिए जानते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि साहित्य के अलावा गणित में विशेष रुचि रखने वाले खय्याम ने ज्यामितीय बीजगणित की शुरुआत की और अल्जेब्रा से जुड़े इक्वेशंस के ज्यामिति से जुड़े हल प्रस्तुत किए? खय्याम के सिद्धांतों में हाइपरबोला और वृत्त जैसी ज्यामितीय रचनाओं की मदद से क्यूबिक इक्वेंशंस का हल भी शामिल है. खय्याम ने अपने अवलोकन में बताया कि क्यूबिक समीकरणों के कई समाधान हो सकते हैं, साथ ही साथ द्विघात समीकरणों को हल करने के लिए उनके तरीके भी हो सकते हैं.
अंतरिक्ष और ज्योतिष से जुड़ाव के चलते उमर खय्याम ने एक प्रकाश वर्ष की दूरी दशमलव के छह बिन्दुओं तक पता लगाया. खय्याम ने इस आधार पर एक नए कैलेंडर का आविष्कार किया, जिसे ईरानी शासन ने उस वक्त जलाली कैलेंडर के तौर पर लागू किया. मौजूदा ईरानी कैलेंडर का आधार भी खय्याम का जलाली कैलेंडर ही है. खय्याम ने पास्कल के ट्राइएंगल और बियोनमियस कोइफिसिएंट के ट्राइएंगल का भी पहली बार प्रयोग किया. अल्जेब्रा में मौजूदा द्विघात समीकरण खय्याम ने ही दिया है. बीजगणितीय समीकरणों के प्रति उनके ज्योमेट्रिकल दृष्टिकोण के कारण विश्लेषणात्मक ज्योमेट्री में खय्याम को देकार्त का पूर्ववर्ती माना जा सकता है।
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
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