कश्ती चाहे तो ज़मीं पर भी चल सकती है,
तेरी हस्ती ही तेरी किस्मत को बदल सकती है।
मैंने जिस उम्मीद से तेरी तस्वीर को देखा है मेरे यार,
मुझको खदशा है ये बाहर भी निकल सकती है।
जो रहती हर लम्हा अब हैरां सी मेरी तस्वीर,
ग़म के आगोश में आकर ये सम्भल सकती है।
है उसको इज़ाज़त की वो चाहे तो आ सकता है,
है शाम की ज़ीस्त की वो चाहे तो ढल सकती है।
है मेरा मुक़द्दर की दश्त-ओ-सेहरा में हो क़याम,
है मेरी ही तक़दीर की चाहे तो बदल सकती है।
पैराहन शादमा है 'तनहा' इस कदर के आज,
कोई लड़की हमपे भी फिसल सकती है।
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
तेरी हस्ती ही तेरी किस्मत को बदल सकती है।
मैंने जिस उम्मीद से तेरी तस्वीर को देखा है मेरे यार,
मुझको खदशा है ये बाहर भी निकल सकती है।
जो रहती हर लम्हा अब हैरां सी मेरी तस्वीर,
ग़म के आगोश में आकर ये सम्भल सकती है।
है उसको इज़ाज़त की वो चाहे तो आ सकता है,
है शाम की ज़ीस्त की वो चाहे तो ढल सकती है।
है मेरा मुक़द्दर की दश्त-ओ-सेहरा में हो क़याम,
है मेरी ही तक़दीर की चाहे तो बदल सकती है।
पैराहन शादमा है 'तनहा' इस कदर के आज,
कोई लड़की हमपे भी फिसल सकती है।
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
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