बात-बात पे क़समें खाने वाले लोग,
अच्छे नही होते यक़ी दिलाने वाले लोग,
टूटे, फूटे, बिखरे होते है वो अंदर से बहुत,
बाहर से खुश नज़र आने वाले लोग!
एक वो है के जिसने तुझको पा लिया,
एक हम हैं के तुझको चाहने वाले लोग!
तकाज़ा है की बचा जाए उनसे अब,
जो हैं बातें इधर की उधर लगाने वाले लोग!
हक़ीक़त में दबाते हैं हक़ीक़त को वो,
हक़ीक़त में हक़ीक़त बताने वाले लोग!
दुआ हैं मेरी खुदाया उठा ले उनको जो,
ज़माने में हैं फ़ित्ना उठाने वाले लोग!
क़फ़स में 'तनहा' यही सोचता हूँ रोज़,
याद करते हैं क्या मुझे ज़माने वाले लोग!
Tariq azeem tanha
वाह
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