मुझे उससे कोई भी गिला ना था,
वो मेरे साथ कुछ दूर चला तो था!
आँखे बिछाये बैठा हूँ दरवाजे पर,
उसने आने के लिए कहा तो था!
वो मुझसे पहले पहुँचा मंज़िल पर,
हाँ थोडा सा तेज़ वो चला तो था!
मेरा उस रात चाँद से वास्ता ना था,
मेरे घर एक जलता दीया तो था!
ये अलग बात के मेरे दोस्त भी थे,
और भी था के मैं 'तनहा' तो था!
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
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