कश्मीर फाइल्स पर बनी फिल्म की प्रीमियर देखकर आप रोने लगे। बस्तर के आदिवासियों पर फ़िल्म बनेगी तो आपको चुल्लूभर पानी में डूबकर मरने का मन करेगा!
दलितों के हज़ारों साल पुराने ब्राह्मणवादी अत्याचार पर ढंग की फ़िल्म बन जाए तो रोते रोते आपके आँसू सूख जाएंगे।
गुजरात दंगे भागलपुर दंगे मुज़फ्फरनगर दंगा मुरादाबाद ईदगाह कांड ऐसी कितनी घटनाएं हैं
लेकिन आपको अपने बच्चों को कश्मीर फ़ाइल इसलिए नही दिखानी है कि आपको कश्मीरी पंडितों से कोई सहानुभूति है।
आपको फ़िल्म इस लिए दिखानी है कि नफरत का दायरा और बढ़े याद रखिये ज़ख्म पर मरहम रखा जाता है कुरेदा नही जाता कुरेदने से ज़ख्म रिसने लगता है नुकसान बढ़ जाता है ।पहले से ही बहोत नुकसान हो चुका है तुम तो अपनी ज़िंदगी जी चुके हो अपने बच्चों के दुश्मन न बनो उनको भी अच्छे भविष्य के साथ जीने दो!
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
Comments
Post a Comment