रात भर तेरी यादो से दिल को जलाता रहा रात भर बहते अश्क़ो की मालाये बनाता रहा बेरुखी सिर्फ मुझसे, मुलाकाते गैरो के साथ तेरी बेवफाई की कड़िया रात भर मिलाता रहा किस्मत आज़माती है, सबने ये सुना था मेरी खुदगर्जी देखो किस्मत को आजमाता रहा तोड़ कर अहल-ऐ-वफ़ा जब गए किसी और के साथ वो बेवफा नहीं हो सकते दिल को समझाता रहा तू नहीं जिंदगी मेरी, कुछ नहीं अब शीशा-ऐ-बदन यह सोचकर तुझे हाथो की लकीरो से मिटाता रहा ये उल्फत की हिज़्र भी तेरी ही तरह हैं गम-ऐ-उल्फत का नशा रात भर सताता रहा उसका इश्क़ भी मैखाने के साकी था मानिंद ऐतबार के जाम वो हर रोज़ पिलाता रहा गर आया तो आबाद हूँ, वर्ना बर्बाद तो हु ही दो ही सवालो की गुथी रात भर सुलझाता रहा हैं तू किसी और का, कूच मैं कर ही जाऊँगा छोड़ दू शहर तेरा ऐसे ख़्वाब की ताबीर ढूंढता रहा ये कैसा गज़ब सोच मैं पड़ जाता हु अक्सर पानी पर नाम लिखकर तेरा मिटाता रहा मिली शोहरत इश्क़ में बर्बाद होने से "तारिक़" खबर ना थी जब ग़ज़लो के सरताज़ो में मेरा नाम आता रहा
फ़िल्मी गानों की तकती के कुछ उदाहरण .... 1222 1222 1222 1222 ( hazaj musamman salim ) (१) -#बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है | -#किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है -#भरी दुनियां में आके दिल को समझाने कहाँ जाएँ -#चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों *ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना -#कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है | -# ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा *ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए | *मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने | *हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहि...
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