दर्द होता हैं बहुत जब किसी धर्म का अपमान हो इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता हिन्दू हो या मुस्लमान हो ना आओ राजनीति के चंगुल में, खत्म हो जाओगे एक दिन तुम दोनों ही भाई मेरे भारत के निगहबान हो रहो साथ मिलकर, दुश्मन खुद तुमसे डरेंगे टीपू सुल्तान, राणा प्रताप तुम इस वतन की शान हो ये मौक़ा हैं दीवाली का, चलो मिलकर साथ मनाये कही विदेश में जाए तो वहा भी हमारा सम्मान हो 'तारिक़' ने लिख दिए मिश्रे, भाईचारे की खातिर सुन कर ग़ज़ल सब कहने लगे, मानो ये भारत उसकी जान हो पैग़ाम-ऐ-शहादत अंदाज़-ऐ-बयाँ दीवान-ऐ-ग़ालिब
फ़िल्मी गानों की तकती के कुछ उदाहरण .... 1222 1222 1222 1222 ( hazaj musamman salim ) (१) -#बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है | -#किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है -#भरी दुनियां में आके दिल को समझाने कहाँ जाएँ -#चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों *ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना -#कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है | -# ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा *ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए | *मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने | *हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहि...
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