दीप तुम भी जलाओ, हम भी जलायेंगे मुस्कुराओ तुम भी, हम भी मुस्करायेंगे गरीब हो तो क्या, त्यौहार भी तो हैं हमारे पास मिठाई हैं, मिल बाँटकर खाएंगे शाम कितनी हसीं हो जायेगी उस वक़्त जिस लम्हे तुम और हम दीवाली मनाएंगे हैं ये त्यौहार सबको ख़ुशी देने का दोस्त तुम बनाओ, हम भी बनाएंगे हुई मुद्दत के तू उदास ही बैठा हैं तेरे हिस्से की ख़ुशी हम मांगकर लाएंगे किसी ने कहा लिख दो कुछ दीवाली पर हमने कहा, हम कलम जरूर चलाएंगे ढाल दिया ग़ज़ल को सूरत-ऐ-दीवाली में इस ग़ज़ल से तुमको हम बेहद याद आएंगे मिलना तो सबसे ख़ुशी के साथ तुम तुमसे भी सब दोस्ती का हाथ बढ़ाएँगे 'तारिक़' वादा था, पिछले बरस मिलने का इस साल भी उनकी राह देखते रह जाएंगे
फ़िल्मी गानों की तकती के कुछ उदाहरण .... 1222 1222 1222 1222 ( hazaj musamman salim ) (१) -#बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है | -#किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है -#भरी दुनियां में आके दिल को समझाने कहाँ जाएँ -#चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों *ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना -#कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है | -# ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा *ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए | *मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने | *हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहि...
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