आखिरी बार तेरा आशियाना देख रहा हूँ,
मुहब्बत का खत्म ये फ़साना देख रहा हूँ!
तेरी यादे ही मिट जाए इस तरह से,
सामने अपने एक मैख़ाना देख रहा हूँ!
बड़ी जालिम दुनिया हैं जुदा कर दिया हमे.
मुहब्बत में दुश्मन ज़माना देख रहा हूँ!
ये कुछ मुलाकाते जिंदगी का रहेंगी आईना,
थोड़ी सी हँसी में जिंदगी को पैमाना देख रहा हूँ!
तारुफ़ हुआ नहीं की जुदाई चली आई,
उस तरफ भी ख़ामोशी से रोना देख रहा हूँ!
दिल दुश्मन हुआ, आँख है यारे दीदार की तलबगार,
इस घनी तन्हाई में आँखों को सुलाना देख रहा हूँ!
राख भी ना हुए हम और जल भी गए इश्क़ में,
उस सितमगर का मैं जलाना देख रहा हूँ!
मैंने भी दिल लगाया, दर्द मिला है बेसबब,
चेहरे पर उदासियो का आना जाना देख रहा हु!
मिले जब राह में पूछा कौन हैं जिंदगी तुम्हारी,
नज़रे मुझसे चुराना, दिल और किसी से लगाना देख रहा हूँ!
गम जरूर होगा की मिले नहीं रुखसती पर,
इसलिए आखिरी बार तेरा आशियाना देख रहा हु !
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