जब उतर ही गया इश्क़-ऐ-दरिया में, तो डूबने से क्यों डर रहा हूँ पता हैं मुझको ये इश्क़ जान ले लेगा फिर भी तुझसे मुहब्बत कर रहा हूँ बेरुखी बेइंतेहा, देखना भी उनका हमे गवारा नहीं जाने क्यों उनकी नफरत की तिज़ारत कर रहा हूँ मैं भी रुला सकता हूँ तुझे बहते दरिया की तरह क्या सोचकर मैं मुहब्बत की हिफाज़त कर रहा हूँ जिन्दा हु, शराब से गुज़र जाती हैं राते मेरी तेरे बाद इसी से ही बेइंतेहा मुहब्बत कर रहा हूँ इस सच पर सब हँसने लगे शायद मुझ पर मैं तुझे दिन मैं भी याद कर रहा हूँ। ये महताब-ओ-आफताब, सितारे-तारे मुझे चाहने लगेंगे शायद सामने इनके मैं नफरत की भी तारीफे कर रहा हूँ किसी बेदर्द के ही हाथो में मुहब्बत बंध गयी उसी से मैं मुहब्बत की ख्वाहिशे कर रहा हूँ मुझे तुम भी चाहना मेरा दम निकलने से पहले बस इतनी से तुझसे इल्तज़ा कर रहा हूँ गर पढ़ेंगे कलम तोडना चाहेंगे "तारिक़" बेवफाई पर जो उनकी शायरी कर रहा हूँ।
फ़िल्मी गानों की तकती के कुछ उदाहरण .... 1222 1222 1222 1222 ( hazaj musamman salim ) (१) -#बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है | -#किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है -#भरी दुनियां में आके दिल को समझाने कहाँ जाएँ -#चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों *ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना -#कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है | -# ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा *ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए | *मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने | *हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहि...
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