मयस्सर कहाँ हैं सूरते-हमवार देखना,
तमन्ना हैं दिल की बस एक बार देखना!
किसी भी सूरत वो बख्शा ना जायेगा,
गर्दन पे चलेगी हैवान के तलवार देखना!
सज़ा ए मौत को जिनकी मुत्ताहिद हुए हैं हम,
आ जायेगी उनको बचाने सरकार देखना!
करो हो फ़क़त तुम गुलो की तारीफ बस,
कभी तो गुलशन के भी तुम खार देखना।
केमनी टी स्टाल पर यही करते है हम रोज़,
चाय पीते रहना औ र तेरा इंतज़ार देखना।
अपनी खुद्दारी 'तनहा' तू छोड़ेगा तो फिर,
इसे आ जायेगा खरीदने बाज़ार देखना!
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
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