बाद-ए-नौ-बहार चली आ गयी हैं अब होली,
खिली हैं हर एक कली आ गयी हैं अब होली
सभी लोग मस्त हैं, अब नाचते हैं गाते हैं
तुम भी झूमो अपनी गली आ गयी हैं अब होली
रंग भी बिखरते हैं, बिखरते हैं ये जो कपड़ो पर,
बढ़ती हैं मुहब्बत दिली आ गयी हैं अब होली
पिचकारी-ओ-गुलाल, करते नारंग-ओ-सरसब्ज़,
हिंद की सूरत इसमें मिली आ गयी हैं अब होली
जानता हूँ मैं 'तनहा' नहीं हूँ अभी ग़ज़ल-गो मैं
गीत बन फिर ग़ज़ल चली आ गयी हैं अब होली
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
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