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चाँद खूबसूरत...

देखो तो हम कहाँ से कहाँ पहुँच गए,
खबर नही अपनी हम वहाँ पहुँच गए!

जहाँ कहीं उसका पता मिला था हमे,
अंजुमन से उठकर वहां वहां पहुच गए!

ताबीर ढूंढते-ढूंढते थककर टूट गए,
फिर ख़्वाब अपने भी निहाँ पहुच गए!

चाँद खूबसूरत रहेगा आखिर  कैसे,
वहां भी जालिम ये इंसाँ पहुच गए!

गुलशन जब भी आबाद करना चाहा,
शादाब उसे करने बागबाँ पहुँच गए!

जब भी 'तनहा' गुज़रा फाकाकशी से,
उस रात उसके घर मेहमाँ पहुँच गए।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

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