जब मेरी याद आ रही होगी,
अक्स फिर मेरा बना रही होगी!
इतना कहर ढाती हैं की मर जाऊ,
जब वो बिंदिया लगा रही होगी!
क्लास में कुछ दूर बैठकर के वो,
मुझसे नज़रे मिला रही होगी!
मुझसे एक शेर ना हुआ अब तक,
और वो ग़ज़ल नज़र आ रह होगी!
दुनिया एक दम से रुक गयी होगी,
जब वो चिलमन हटा रही होगी!
'तनहा' तुम तो बहुत जालिम हो,
और वो अच्छा बता रही होगी!
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
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