उठाकर के पलके तिरछी नज़र से मारिए,
आईनासाज़ हैं 'तनहा' उसे पत्थर से मारिए!
बता दीजिये कैसे उसकी बेटी को लूटा,
बताकर उसकी माँ को इस खबर से मारिए!
ये हैं तरीका उसको बर्बाद करने का,
उसके ही अक्स को उसके घर से मारिए!
एक बार में कर दीजिये हमे दफ्नो-क़त्ल आप,
रोज़ यूँ ना तंज करके इधर-उधर से मारिए।
संस्कृति-ओ-आसिफा थी इज़्ज़त-ए-चमन,
हवस में ना इनको गुलशने-दहर से मारिए!
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
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