इक दफा दुल्हन बन के आ,
जिस्म-ए-मिलन बनके आ!
हिना ओ सिंगार सब करना,
जिंदगी का चमन बनके आ!
दीदा र हो और मिले मौ त,
लहंगा-ए-कफ़न बनके आ!
काफिले का पड़ाव चाहिये,
सफर-ए-नशेमन बन के आ!
तुझे देखलू और देखता रहूँ,
मेरे ऐसे ही नयन बनके आ!
'तनहा' हैं अहले-कलम तू,
भी इक हमसुख़न बनके आ!
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
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