नींद गिरिया ए बाब पर आती नही अब,
आ जाए तो खवाब पर आती नहीं अब!
गिरिया; आँख, बाब; दरवाज़ा
सीरत को तरजीह देता हूँ सूरत को नहीं,
नज़र हुस्नो-शबाब पर आती नहीं अब!
आँखे मोबाइल की तलबगार जो हैं हुई,
फिर भूलके किताब पर आती नहीं अब!
इश्क में खुद का भी मैं राज़दार नहीं हूँ,
फिर बात अहबाब पर आती नहीं अब!
अहबाब;दोस्त,यार
ये जाहिद की बात की तासीर हैं शायद,
हँसी उसके जवाब पर आती नहीं अब!
जाहिद; ज्ञानी, तासीर;प्रभाव,
भँवर में है, या तो बहरे-सफ़र भा गया,
कश्ती सरे-गरदाब पर आती नहीं अब!
बहरे-सफ़र; समंदर का सफ़र
हाथ ही कट गए उसके इश्क़ में 'तनहा',
उंगलियां मिजराब पर आती नहीं अब!
मिजराब; सितार बजाने का यन्त्र
जिसे उंगलियो में पकड़के सितार
बजाया जाता हैं।
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
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