नज़र से मुझको पिला दे साकी,
नज़र मिरी तरफ उठा दे साकी!
होगी कई शीशे की मय नज़र में,
जानूंगा गर इनमे डूबा दे साकी!
रंजो-गम का हैं बोझ दिल पर,
अलम मिरे सारे मिटा दे साकी!
झगड़ो से कुछ भी नहीं हासिल,
भाई से भाईको मिला दे साकी!
तू हैं, शराब हैं, हैं शररे-मैख़ाना,
मैं 'तनहा' नहीं हूँ बता दे साकी!
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
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