दिल अपना यूँ चाँद से जुदा रखा हैं,
जो मेरे घर में जलता दीया रखा हैं!
दुनियाउसे क्यू तुली है शेरकहने पे,
जिसने खुद का नाम गधा रखा हैं!
जो फिरता आईना दिखता सबको,
हमने उसे भी आईना दिखा रखा हैं!
इसी उम्मीद पर के वो आएंगे घर,
कमरे को फूलो से सजा रखा हैं!
अकेला हूँ , वास्ता नही किसी से,
इसलिये तखल्लुस तनहा रखा हैं!
Tariq Azim Tanha
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