फरवरी 10, 1996 को पैदा हुए मौ. तारिक़ अज़ीम गौर को आज तारिक़ अज़ीम 'तनहा' के नाम भी जाना जाता हैं। इनका जन्म गांव बन्हेड़ा टांडा जो की रुड़की के अत्यंत समीप हैं वहां हुआ। इनके पिता एक संघर्षकर्त किसान हैं। 'तनहा' की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के छोटे से विद्यालय में हुई। दसवी, कक्षा में आते-आते इन्हें उर्दू के शेर कहने का बहुत खुमार हुआ। तनहा को शुरू से ही मिर्ज़ा ग़ालिब और इक़बाल के शेरो और ग़ज़लो ने बहुत प्रभावित किया। पढ़ते-
पढ़ते ये कब लिखने लगे, इन्हें खुद पता ना चला। अब 'तनहा' उत्तराखंड प्रदेश के सरकारी कॉलेज, जी.बी.पंत इंजीनियरिंग कॉलेज, पौड़ी गढ़वाल में तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। ये एक पुस्तक भी लिख रहे हैं 'दास्तान-ए-तनहा' जो की जल्द ही
प्रकाशित होगी।
फ़िल्मी गानों की तकती के कुछ उदाहरण .... 1222 1222 1222 1222 ( hazaj musamman salim ) (१) -#बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है | -#किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है -#भरी दुनियां में आके दिल को समझाने कहाँ जाएँ -#चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों *ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना -#कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है | -# ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा *ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए | *मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने | *हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले | *बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं | *मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहाँ जाएँ | *मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता | *सुहानी रात ढल चुकी न जाने तुम कब आओगे | *कभी तन्हाईयों में भी हमारी याद आएगी | *परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है | (pa1ras2tish2 kii2 ta1man2na2 hai2 'i1baa2dat2 ka2 i1raa2daa2 h
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