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कालीपद प्रसाद

                                होली !!
आओ प्रिये तुम्हे गुलाल लगा दूँ...कि आज होली है .
सात रंगों से रंग दूँ तुम्हे... कि आज होली है|
तन पर उगता रवि का लाल लगाऊं... कि आज होली है
मन में अनंग का आग लगा दूँ... कि आज होली है|
पत्तियों से रंग ,फूलों से खुशबु लाई... कि आज होली है
तितलियों से चंचलता,मंडराऊं तुम पर... कि आज होली है|
जलधर से मांगकर जल लाई... कि आज होली है
प्रेम के सात रंग घोल, बरसाऊँ तुम पर... कि आज होली है|
तुम पिया मुझे मत भूलना... कि आज होली है
मेरी सहेली चतुर सयानी ,बचना जरा... कि आज होली है|
सखियों की नज़र न लगे तुम्हे... कि आज होली है
आखों के काजल का टिका लगा दूँ... कि आज होली है|
सावधान रहना ,स्वीकार न करना, करे कोई प्रेम निवेदन
राधे राधे जपते रहना ,हो जायेगा तुम्हारा  मोह भंजन |
रंग लगाये ,लगा लेना पर दिल ना लगाना... कि आज होली है|
जितने रंग बरसना है पिया मुझपर बरसो... कि आज होली है|
तन में आग , मन में आग ,धधकता है निरंतर
मारो पिचकारी पिया ,शांत करो, तन मन का अंगार |
फागुन का फाग ,गाओ प्रेम का राग... कि आज होली है
प्रेम का रंग ,कभी मिटे ना... कि आज होली है|

कालीपद 'प्रसाद'

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